


कई लोगों को यह अनुभव होता है कि जैसे ही वे स्नान करने के लिए पानी डालते हैं, विशेषकर ठंडे या गुनगुने पानी के संपर्क में आते हैं, उन्हें मूत्र त्याग की इच्छा होने लगती है। सामान्य रूप से इसे कोई गंभीर समस्या नहीं माना जाता, क्योंकि यह एक स्वाभाविक शारीरिक प्रतिक्रिया हो सकती है। शरीर में जब भी ठंडे या हल्के गर्म पानी का स्पर्श होता है, तो स्नायु तंत्र में हलचल होती है और मूत्राशय में दबाव महसूस हो सकता है। इसे अंग्रेज़ी में “Cold Diuresis” भी कहा जाता है।
लेकिन यदि यह स्थिति बार-बार, असामान्य रूप से अधिक बार या अत्यधिक तनाव के साथ अनुभव होती है, तो यह किसी गहरी मानसिक या शारीरिक स्थिति का संकेत भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, बार-बार पेशाब जाने की मानसिक प्रवृत्ति (Frequent Urination Due To Anxiety) एक प्रकार का मनोविकार माना जा सकता है। वहीं कुछ न्यूरोलॉजिकल या मूत्र संस्थान संबंधी समस्याओं में भी ऐसा अनुभव हो सकता है।
यदि नहाते समय मूत्र त्याग की इच्छा हमेशा बनी रहती है, और स्नान के अतिरिक्त भी दिनभर में अत्यधिक बार पेशाब जाना पड़ता है, तो चिकित्सक से परामर्श लेना उचित है। लेकिन केवल नहाते समय हल्की इच्छा होना आमतौर पर मनोविकार नहीं बल्कि शरीर की स्वाभाविक प्रक्रिया ही मानी जाती है। हां, यदि व्यक्ति इसे लेकर अत्यधिक सोच-विचार या चिंता में डूब जाता है, तो मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है। ऐसे में मन को शांत रखना और आवश्यकता पड़ने पर योग, प्राणायाम तथा ध्यान जैसी तकनीकों का सहारा लेना लाभकारी हो सकता है।